व्यक्तिगत बायोग्राफिकल घटक
व्याक्तगत या Biography घटक

सभी मानवों में कुछ विशिष्ट विशेषताएं होती हैं जो स्वभाव से वंशानुगत होती हैं तथा जन्म-जात होती हैं। यह वे गुण होते हैं जिनके साथ एक व्यक्ति पैदा होता है। ये वे विशेषताएं होती हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकता, इन्हें कुछ हद तक सुधारा किया जा सकता है। यदि प्रबन्धक व्यक्ति को वंशानुगत गुणों के बारे में जानता है तथा कमियों के बारे में जानता है तो वह अपनी संगठनात्मक व्यवहार तकनीक को ज्यादा प्रभावी ढंग से प्रयोग में ला सकता है। ये सारी विशेषताएं विस्तृत रूप से
नीचे दी गई हैं-
(i) लिंग– पुरुष एवं स्त्री कर्मचारियों के निर्गमन ने अध्ययन शास्त्रियों, समाज शास्त्रियों एवं खोजियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। शोध ने यह साबित कर दिया है कि समस्या हल योग्यता, Skill,अभिप्रेरणा, नेतृत्व, सामाजिक, सीखने की योग्यता आदि में पुरुष, स्त्री में कोई अन्तर नहीं है फिर भी हमारे पुरुष dominated समाज में स्त्री को कर्मचारी के रूप में काम करने के लिए कम उत्साहित किया जाता है।
लिंग का आवर्त एवं अनुपस्थिति पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। यह सिद्ध हो चुका है कि महिला कर्मचारियों में पुरुष कर्मचारियों की अपेक्षा कार्य को बदलने एवं कार्य से भागने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है। इस बात के लिए जो तथ्य दिया गया है कि हमारे समाज सारे उत्तरदायित्व स्त्री के कंधों पर ही डालता है। जब बच्चा बीमार होता है एवं नल ठीक करने वाले व्यक्ति को आना होता है तो औरत को ही अपने काम को छोड़कर सब कुछ देखना होता है।
(ii) शिक्षा का स्तर – शिक्षा का भी व्यक्तिगत व्यवहार पर काफी प्रभाव पड़ता है। खासतौर पर इस बात का भी शिक्षा का स्तर किस तरह का है तथा किस प्रकार की शिक्षा प्राप्त की गई है। जितना ज्यादा शिक्षा का स्तर जाता है व्यक्ति में सकारात्मक outcomes की ओर ध्यान ज्यादा हो जाता है। यह outcomes आमतौर पर होती है ज्यादा सन्तुष्टिवर्धक
कार्य, उच्च आय स्तर एवं व्यवसाय के लिए बड़े वैकल्पिक स्रोत आदि जिसका अर्थ है अच्छा जीवन। किस प्रकार की शिक्षा प्राप्त की गई है यह बात भी व्यक्तिगत व्यवहार को प्रभावित करती है। शिक्षा ‘सामान्य’ तथा ‘विशेष’ दो प्रकार की होती है। पहली प्रकार की शिक्षा के अन्तर्गत औपचारिक क्षेत्र आता है जैसे कि कला, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान जबकि दूसरी प्रकार की शिक्षा के अन्तर्गत कई अनुशासन आते हैं जैसे कि अभियान्त्रिकी, चिकित्सा, संगणक विज्ञान एवं सामान्य शिक्षा। विशिष्ट कार्यक्रम आमतौर पर केन्द्रित तथा संकीर्ण विचारधारा के होते हैं जबकि सामान्य कार्यक्रम के विषय की मात्रा इस तरह डिजाइन होती है ताकि अवधारणा को सम्पूर्ण तौर पर समझा जा सके।
(iii) आयु का प्रभाव – आयु एक महत्त्वपूर्ण घटक है क्योंकि इसका प्रभाव कार्यकुशलता, आवर्तत, अनुपस्थिति, उत्पादकता तथा सन्तुष्टि पर पड़ता है। कार्य निष्पादन आयु पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है कार्य निष्पादन का स्तर कम होता रहता है ठीक इसी तरह इसका आवर्त पर भी प्रभाव पड़ता है। वृद्ध लोग ज्यादा ढंग से वृद्धि नहीं कर पाते तथा उन्हें कार्य को छोड़ना पड़ता है। आयु एवं अनुपस्थिति का सम्बन्ध इस बात पर निर्भर करता है कि अनुपस्थिति avoidable है या unavoidable, आमतौर पर पुराने कर्मचारियों में unavoidable अनुपस्थिति की दर कम होती है। शायद इसका मुख्य कार्य ज्यादा उम्र का होने के कारण खराब स्वास्थ्य तथा कम उत्पादकता का होना है।
(iv) सामर्थ्य– सामर्थ्य का अभिप्राय किसी कार्य की विभिन्न क्रियाओं को निभाने की व्यक्ति की क्षमता से है। व्यक्ति का सामर्थ्य दो प्रकार के कौशल-बौद्धिक और शारीरिक से बना होता है।
(a) बौद्धिक योग्यता : ये दिमागी क्रियाएं करने के लिए
आवश्यक होती हैं। जैसे IQ. टैस्ट की रचना व्यक्ति के बौद्धिक सामर्थ्य को मापने के लिए की जाती है। इसी प्रकार कॉलेज दाखिला टेस्ट जैसे GRE, GMAT और CAT प्रसिद्ध हैं। बौद्धिक सामर्थ्य को बनाने वाली कुछ अन्य माप में संख्या योग्यता, Verbal Comprehension, सोचने की गति और inducive reasoning शामिल है।
(b) शारीरिक सामर्थ्य ये व्यक्ति की सहनशीलता, Manual stamina, strength आदि से सम्बन्धित हैं। नौ आधारिक शारीरिक योग्यताओं की पहचान की गई है। इन योग्यताओं की सीमा प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होती हैं। उच्च कर्मचारी निष्पादन की प्राप्ति तभी होगी जब प्रबन्ध प्रत्येक कार्य के लिए इन योग्यताओं की सीमा निर्धारित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उस कार्य को करने वाले कर्मचारियों में यह योग्यताएं हैं।
(v) वैवाहिक स्थिति की जटिलता– वैवाहिक स्थिति का अनुपस्थिति, Turnover और सन्तुष्टि पर प्रभाव पड़ता है। विवाहित कर्मचारियों में अविवाहित कर्मचारियों की तुलना में कम अनुपस्थिति, कम Turnover और अधिक सन्तुष्टि होती है। विवाह से अतिरिक्त जिम्मेदारी बढ़ जाती है जिस कारण नौकरी और आय में स्थिरता की आवश्यकता होती है।

(vi) निर्भर करने वालों की संख्या– कर्मचारी पर निर्भर करने वाले व्यक्तियों की संख्या और उसकी अनुपस्थिति और सन्तुष्टि में परस्पर सम्बन्ध है। कर्मचारियों विशेष रूप से महिलाओं में बच्चों की संख्या का अनुपस्थिति से सकारात्मक सम्बन्ध है। इसी प्रकार, निर्भर करने वालों की संख्या और सन्तुष्टि का भी सकारात्मक परस्पर सम्बन्ध है।.
(vii) बुद्धिमत्ता– आमतौर पर, बुद्धिमत्ता को पैतृक गुण माना जाता है। कुछ लोग जन्म से बुद्धिमान होते हैं या अन्य शब्दों में बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे भी बुद्धिमान होते हैं। परन्तु अभ्यस्त अनुभव से यह पता चलता है कि कई बार अधिक बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे कम बुद्धिमान होते हैं और औसत माता-पिता के बच्चे काफी बुद्धिमान होते हैं। इसके साथ ही बुद्धिमत्ता को प्रयासों, परिश्रम, उचित वातावरण और
अभिप्रेरणा के द्वारा बढ़ाया जा सकता है। चरित्रगुण चाहे पैतृक हों या अर्जित हों यह तत्त्व व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करता है। बुद्धिमान व्यक्ति आमतौर पर सख्त और हठी नहीं होते बल्कि उन्हें स्थिर और Predictable समझा जाता है।
(viii) धर्म– यह मूल्यों से सम्बन्धित है। यह मूल्यों की औपचारिक पद्धति है जिसे एक पीढ़ी द्वारा दूसरी पीढ़ी को सौंपा जाता है। व्यक्ति अपने धर्म से शक्ति अर्जित करते हैं। तकनीकी उपलब्धता के कारण परम्परागत धर्म, विश्वास और मूल्यों में विश्वास में कमी आई है।